Friday, September 22, 2023

तलाश में

 जड़ की तलाश में भटका मैं दिल्ली

उमस थी, धूप थी, बारिश भी कुछ हुई

दरख़्त थे, पौधे भी, शाखें भी थीं नई

आसमान में वो कहाँ जिसकी तलाश थी।


जो जंग -ए-आजादी में हो गए फना

उनके बहाने खोजते थे शक्ल हम यहां 

मालूम हुआ ये कि जंग है जारी, हलाक हैं सभी 

 जड़ सहेज सहेज रखने का  दिल्ली में दम नहीं।

1 comment:

सुशील कुमार जोशी said...

स्वागत है २०१४ के बाद वापस ब्लॉग जगत में पदार्पण के लिए