जिंदगी की जंग में हार गई
बुनकर की बेटी सबीना।
पहले अंतडि़यां धंसीं पीठ में
फिर फेफड़ों में सांस
भरने की जगह न रही
डायरिया से मारी गई सबीना।
सुना है डायरिया से ज्यादा
कुत्ती चीज है भूखसबीना को उसने सताया कई बार।
कहते हैं साहब लोग
बहुत खतरनाक चीज है क्षय रोग
जूझने में नाकामयाब रही सबीना।
लाल राशन कार्ड, आवासवृद्धा पेंशन, पारिवारिक हित लाभकुछ को दी गई नोटिसइस तरह निभाई चालीसवें की रस्म
जब दुनिया में नहीं रही सबीना।
बुनकर की बेटी सबीना।
पहले अंतडि़यां धंसीं पीठ में
फिर फेफड़ों में सांस
भरने की जगह न रही
डायरिया से मारी गई सबीना।
सुना है डायरिया से ज्यादा
कुत्ती चीज है भूखसबीना को उसने सताया कई बार।
कहते हैं साहब लोग
बहुत खतरनाक चीज है क्षय रोग
जूझने में नाकामयाब रही सबीना।
लाल राशन कार्ड, आवासवृद्धा पेंशन, पारिवारिक हित लाभकुछ को दी गई नोटिसइस तरह निभाई चालीसवें की रस्म
जब दुनिया में नहीं रही सबीना।