Sunday, October 13, 2013

बारिश सिर्फ बारिश नहीं होती

 आसमान से जब बरसती हैं बूंदें
तब वर्षा सिर्फ बारिश नहीं होती

कभी पानी की बूंदों के संग बरसती है खुशी
कभी पानी की बूंदों के साथ आती है सर्दी
कभी मोती जैसी बूंदों में घुल कर आती है जिंदगी
कभी बूंद-बूंद बरस जाती है तबाही

आसमान से जब बरसती हैं बूंदें
तब वर्षा सिर्फ बारिश नहीं होती

बूंदों में घुल मिलकर बरसती है तेजाब
बूंद-बूंद मिलकर बन जाता है सैलाब
बारिश की बूंदें गिरती हैं बनकर अनेक
धरती पर होकर एक, बनती हैं सैलाब

सैलाब जो बहा ले जाता है सब कुछ
सैलाब जो बहा ले जाता है सपने, अपने

कैसे कहूं, आसमान से बरसती बू्ंदें
हमेशा वर्षा नहीं होतीं, हरियाली नहीं होतीं

Saturday, October 12, 2013

रावण से नहीं डरता

रावण अंकल मुंह खोले, थोड़ा बड़ा
ताकि भीतर से रंग दूं लाल-लाल
जब नाभि में लगे राम का अग्निबाण
बदन में लगी आठ से उठी लपटों में
दमके बनारसी पान जमा मुखड़ा।

नन्हा रहमान नहीं डरता रावण से
पुतले की खूंखार मूंछें, लपलपाती जीभ रंगते वक्त
नहीं डरता है जब ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है बारूद
वह डरता है तब, जब छिड़ती है लंका में जंग
जब दौड़ने लगती है वानरी सेना नारा लगाती हुई।
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-अजय राय

दशानन अबकी हार भी जाओ ना


दशानन अबकी हार भी जाओ ना

जब अपने शीश चढ़ाया बार-बार तुमने
तब क्यों रोका यज्ञ में बलि की प्रथा दशानन

जंगल में तपस्वी हो रहे परेशान
राक्षस भंग कर रहे उनका तप
हत्यारे घूम रहे सत्ता पर काबिज होने
राम उलझ गए राजनीतिक मुद्दे में

दशानन तुम पर आई जिम्मेदारी भारी
अबकी बार तुम खुद ही हारो ना।


ज्ञानेंद्रियां हैं धोखा, कर्मेंद्रियां छलावा
तुम तो ठहरे ज्ञानी, समय की मांग समझो
हार ही में जीत है लंकेश इसे समझाओ
अबकी सबको बता कर हार जाओ ना
दशानन अबकी हार भी जाओ ना।


-अजय राय